किस्सा
आओ यारो तुम्हे सुनाये, किस्सा एक रंगीन
भाभी तुम्हारी मायके गयी,मौका था बहुत हसीन !
मौका बहुत हसीन, उफ़! क्या था कहना ,
जी भर खाया पिया और जो चाह पहना!!
देर सवेरे तक थे सोते, मध्य रात्रि को घर आते,
दूधवाले की छुट्टी कर, वोदका से काम चलते !!
सुबह वो बहुत निराली थी, सड़क एक दम खाली थी,
बस स्टॉप पर वो अकेली, न कोई सखा न सहेली !!
पास जा कर हम थम गए, खुशबु में उसकी जम गए,
लड़की थी वो स्वीट एंड सिम्पल, किताब पर उसकी लिखा था डिम्पल!!
खामोशी थी छाई हुई, लड़की कुछ सकुचाई हुई,
पर धीरे से वो बोली हमसे, देखा है कही तुमको, कसम से!!
झट हरकत में हम भी आये, बिन पूछे सुब कुछ बताये,
युही अपनी बात बढी, अखियों से अखिया लड़ी!!
एक दिन मिलने की ठानी,बीत रही थी छुट्टियाँ सारी,
लौट आती जो भाभी तुम्हारी, हो जाती मारा -मारी!!
शनिवार का प्रोग्राम बनाया, सेंट लगा खुशबु से नहाया
करनी थी जो प्यारी बातें, सोच-सोच कर हम मुस्काते!!
आखिर वो पल भी आया, देख कर हुस्न सर चकराया,
हेलो!! डियर,बोली वो यूं, प्रेम रस की गोली ज्यो !!
क्लाई-मेक्स पर जब हम आये,भाभी तुम्हारी बहुत याद आयी,
डिम्पल बोली लव यू मिस्टर,याद आ गयी साले की सिस्टर!!
दे सकते नहीं उसको धोखा ??
डिम्पल तो है हवा का झोका !!