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5.11.22

 

                                               

  दिल में बस जाता है..                                                                                              

जब कोई किसी के,दिल में बस जाता है,

छोड़कर हमें वो,कही नहीं जाता है ,

कहने को तो ओझल,हुआ जग से..

एह्सांसों में हमारी,वो बस जाता है!!

 

आँखों से तेरी,देखता है सबको

होठों से तेरे,वो मुस्कुराता है..

रखना याद सदा ही,इन लव्जों को..

जानेवाला सदा ही, साथ निभाता है!!

 

वास करता है हमारे, दिल दिमाग और ज़हन में,

तेरी आँखों के पानी से ही,वो बस घबराता है

हर कोशिश कर ,ज़िन्दगी और ख़ुशहाल हो सकें

ये कामयाबी देख ही,उसको सुकून आता है!!

 

जो थे प्रिय उसको, वो हमको भी अज़ीज़ हुए..

जाने से उसके देख,हम और करीब हुए ..

इच्छा के विरूद्ध प्रभु कि,कौन  कुछ कर पता है,

इंसान पूर्व नियोजित किरदार ,ही तो निभाता है,

 

जब कोई किसी के,दिल में बस जाता है... छोड़कर हमें वो,कही नहीं जाता है...

                                                                                                                                               

                                                                    ऋचा-समर्थ

 

 

30.6.22

कभी मुड़ कर भी देखो..

 

कभी मुड़ कर भी देखो..

 

कभी मुड़ कर भी देखो तुम ,हमारी ओर भी रुक कर ..

तुम्हारी आह ..मेरी आह.. में बस फर्क इतना है  X2

कि तुम रो कर के कहते हो ,हम हस कर के सहते है !!

 

ज़माने को नहीं मालूम,कि दर्द कितना है ..

आज़ादी खो के मालूम कर,उसका मोल कितना है ..

तुम्हारी बात.. मेरी बात.. में बस फर्क इतना है X2

गुज़ारी.. तुमने  जितनी है, हमारी .. उससे दुगनी है !!

 

बढ़ा कर हाथ गले से,उन्होंने जो लगाया..

निभा कर साथ हमने भी,फ़र्ज़ निभाया ..

हमारे हाल.. उनके हाल.. में बस फर्क इतना है  X2

कि वो, हर हाल में खुश रहते ,हम इस ख्याल से खुश रहते !!

 

मुहब्बत एक एहसासों की,पावन सी कहानी है ,

कभी चेहेरे पे खुशियाँ है, कभी आँखों में पानी है..

संग अपनों के रहने का, एक सुख, अजब सा है X2

जो तुम समझो तो बढ़िया है,न समझो तो नादानी !!

कभी मुड़ कर के देखो तुम ,हमरी और भी रुक कर..

कोई दीवाना कहता है.., कोई पागल समझता है !!

 

                                                                                                                                                                                                            समर्थ

शादी के 50 साल

 

शादी के 50 साल

 

कैसे निकल गए, शादी के ये  50 साल

पता ही नहीं चला,कि तुम इतनी बेमिसाल !

सुख-दुःख में सदा,मेरे साथ ही रहीं ..

जो मुझको थी पसंद, तुमने बात वही कहीं

मेरे घर को तुमने,एक बगिया कि तरह सीचां..

ख्याल रखा ये शीश.., न हो कभी नीचा !

गठरी ज़िम्मेदारियों की,नहीं दी उठाने अकेले

साथ मिल कर निपटाए ,जीवन के सभी झमेले !!

 

याद है.. याद है मुझे, तुम्हारा वो बडबडाना..

घड़ी-घड़ी,  चाय कि प्याली लाना,

दालमोठ की कटोरी और नमकीन सांके

प्रिय ! याद है, वो सभी बातें,

भूला नहीं कुछ भी,बेशक हुए हो वर्ष अनेक !

तुम्हारी प्यारी झिडकियां और ताने प्रत्येक !!

 

दिल खुश करती थी, मुस्कराहट तुम्हारी..

मायके जब भी गई,

रातें..सिर्फ इंतज़ार में गुजारी ..

चाहत बेइंतेहा, थी मेरे दिल में,

कह नहीं पाए, इसलिए आज है sorry !!

 

लाज में रह गया, रोमांस मेरा अधूरा,

अभ्यास की कमी ने, बिगाड़ा गेम पूरा !

अब कौन देगा, मुझे यह मधुर ज्ञान..

मार्ग दर्शक हो निपुण, कैसे लूँ यह पहचान !!

 

भाई,बहन–बहनोई, सभी सिटीजन senior

इनसे बात नहीं बनतीं, यह था बिलकुल clear

बहु-बेटे और बेटियां,यह कर देंगी विवाद

अंतिम HOPE है मेरे ,प्यारे से दामाद !!

 

दोनों बोले मिलकर.. पापा, डरना है बेकार..

smile कर के बोलिए, मुझे तुमसे है प्यार...

फूल एक गुलाब का,रखना in hand

गुस्साए मम्मी तो कहना, Try to understand..

ज्यादा सोचने में ही, बीत गए  इतने साल,

पता ही नहीं चला,तुम इतनी बेमिसाल !

 

                                                                                 ऋचा - समर्थ