Pages

30.6.22

कभी मुड़ कर भी देखो..

 

कभी मुड़ कर भी देखो..

 

कभी मुड़ कर भी देखो तुम ,हमारी ओर भी रुक कर ..

तुम्हारी आह ..मेरी आह.. में बस फर्क इतना है  X2

कि तुम रो कर के कहते हो ,हम हस कर के सहते है !!

 

ज़माने को नहीं मालूम,कि दर्द कितना है ..

आज़ादी खो के मालूम कर,उसका मोल कितना है ..

तुम्हारी बात.. मेरी बात.. में बस फर्क इतना है X2

गुज़ारी.. तुमने  जितनी है, हमारी .. उससे दुगनी है !!

 

बढ़ा कर हाथ गले से,उन्होंने जो लगाया..

निभा कर साथ हमने भी,फ़र्ज़ निभाया ..

हमारे हाल.. उनके हाल.. में बस फर्क इतना है  X2

कि वो, हर हाल में खुश रहते ,हम इस ख्याल से खुश रहते !!

 

मुहब्बत एक एहसासों की,पावन सी कहानी है ,

कभी चेहेरे पे खुशियाँ है, कभी आँखों में पानी है..

संग अपनों के रहने का, एक सुख, अजब सा है X2

जो तुम समझो तो बढ़िया है,न समझो तो नादानी !!

कभी मुड़ कर के देखो तुम ,हमरी और भी रुक कर..

कोई दीवाना कहता है.., कोई पागल समझता है !!

 

                                                                                                                                                                                                            समर्थ

No comments:

Post a Comment